प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने शहरी बेरोजगारों के लिए श्री महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना यानी कि मनरेगा की तर्ज पर मांग आधारित गारंटी सुधार रोजगार योजना लाने की सिफारिश की है परिषद ने देश में असमानता कम करने के लिए आधारभूत आय (आयूबीआई) शुरू करने और सामाजिक क्षेत्रों को अधिक रकम आवंटित करने का सुझाव भी दिया हैl
परिषद ने कहा है कि वेतन या पारिश्रमिक तो बड़ा है मगर वह कुछ वर्गों के लिए ही है और गरीब उसके दायरे से बाहर ही है परिषद ने अपनी रिपोर्ट में भारत में असमानता की स्थिति में कहा शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में श्रम बल की भागीदारी दर में अंतर को देखते हुए हमें लगता है कि हम मनरेगा जैसी योजनाओं को शहरों में भी लानी चाहिए जो मांग के आधार पर गारंटी सुधार रोजगार देl
परिषद ने अपने सुझाव में कहा है कि शहरी क्षेत्रों में भी ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही मनरेगा योजना की तर्ज पर रोजगार गारंटी वाली योजनाएं शुरू करनी चाहिए जिससे और अधिक विशेष कार्यबल के लिए भी रोजगार उपलब्ध कराने में आसानी हो l
सबसे अहम बात यह है कि सामाजिक सेवाओं एवं सामाजिक क्षेत्र के मद में सरकार को बढ़ाना चाहिए इससे समाज के आर्थिक रूप से अतिथि 3 लोगों को आर्थिक असमानता से बचाया जा सकेl
परिषद ने जोर दिया है कि बहुआयामी संदर्भ में गरीबों का आकलन करने के लिए गरीबों के जंजाल में फंसने वाले और इससे निकलने वाले लोगों पर नजर रखना सर्वाधिक जरूरी है परिषद ने कहा है कि इन बातों को ध्यान रखते हुए हमें ऐसी श्रेणियां तैयार करनी होगी जिससे वर्ग आधारित अंतर बिल्कुल स्पष्ट दिखता होl
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने यह भी कहा कि इन उपायों से मध्यवर्ग के आए की हिस्सेदारी परिभाषित करने और सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में आने वाले निम्न वर्ग पिछड़ा वर्ग मध्यमवर्ग गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले लाभार्थियों को लक्षित करने में मदद मिलेगी रिपोर्ट के अनुसार अर्जित वेतन के लिहाज से उन्नति जरूर हुई है मगर इसका लाभ कुछ खास लोगों तक ही सीमित रहा है और आर्थिक रूप से अति पिछड़े लोगों की हालत बदतर हो गई हैl