Mon. Sep 16th, 2024
investment vs election

 हाल ही में 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए हैं इन पांच राज्यों में से तीन राज्यों मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई है एकमात्र राज्य तेलंगाना ऐसा है जहां पर कांग्रेस पार्टी की विजई हुई है ।वही मिजोरम में ZPM की जीत हुई है ।

lok sabha election 2024
election vs investment

शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले लोगों को यह पता रहता है कि केंद्र में आमतौर पर एक मजबूत सरकार का होना आवश्यक है जिसमें निवेशक और बाजार के हित सुरक्षित रहते हैं चाहे वह किसी भी पार्टी की सरकार हो ।

तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की महत्वपूर्ण है यदि भारतीय जनता पार्टी इन तीन राज्यों को नहीं जीत पाती   तो भी केंद्र में उसके जीतने की संभावना बनी रहती क्योंकि केंद्र और राज्य के मुद्दे अलग-अलग होते हैं ऐसा 2018 में भी हो चुका है जब भारतीय जनता पार्टी इन तीनों राज्यों में चुनाव हार गई और उसके बाद जब करीब 6 महीने के बाद केंद्र में चुनाव हुआ तो भारतीय जनता पार्टी ने इन राज्यों की लोकसभा की लगभग ८०% से ज्यादा सीटों को जीत लिया था ।क्योंकि उनके लिए केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता ,उनकी मजबूत लीडरशिप ,भारतीय जनता पार्टी का मजबूत संगठन ,भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की एक जुट होना ,इसके अलावा वह एक पार्टी के रूप में एक मजबूत सरकार देने में सक्षम है ।

सारे चुनाव के पहले के अनुमान इन तीनों राज्यों में दोनों पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर का दावा कर रहे थे क्योंकि इन तीनों राज्यों में मुख्य रूप से इन दोनों पार्टियों के बीच ही मुकाबला होता है चुनाव परिणामों ने कई तरह के मुद्दों को समाप्त कर दिया है जो की एक निवेशक और बाजार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं ।इन चुनाव परिणाम का मुद्दों के हिसाब से निवेशकों के हित में क्या-क्या असर होने वाला है आज के आर्टिकल में हम इस बात की चर्चा करेंगे 

स्थिर और मजबूत सरकार का असर

 विधानसभा चुनाव के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण काफी ज्यादा हद तक दोनों पार्टियों के बीच में काफी कांटे की टक्कर बता रहे थे जिसके द्वारा कई मीडिया रिपोर्ट्स आने वालेलोकसभा  चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में मजबूत सरकार नहीं बने या कमजोर सरकार बनने का अंदेशा भी लग रहा था ।राज्यों के चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं परंतु इस बार के चुनाव में राज्यों के मुद्दे पूरी तरह से अलग हो गए चुनाव प्रधानमंत्री मोदी ने अपने नेतृत्व में ही एक तरह से लड़ा जिसके कारण उनके तीन राज्यों में बंपर जीत हुई अब यह कहा जा रहा है कि राज्यों के चुनाव में जब उनके नेतृत्व में ही लड़ा गया और पार्टी की धमाकेदार विजई हुई तो लोकसभा चुनाव में तो वह अपने लिए ही वोट मांगेंगे तो उसका क्या असर होगा जाहिर सी बात है कि इस बात का काफी धमाकेदार असर होगा औरकेंद्र में  एक मजबूत सरकार बनने की संभावना प्रबल हो गई है ।शेयर मार्केट को राजनीतिक स्थिरता काफी पसंद होती है इसलिए हम सभी ने देखा है कि 3 दिसंबर से लेकर अभी तक लगभग 14 दिसंबर तक मार्केट मैं एक पॉजिटिव ट्रेंड में बना  और निफ्टी लगभग 21000 के ऊपर ट्रेड कर रहा था  ।जो लोग मार्केट में क्वालिटी स्टॉक में पहले से ही निवेशित  हैं अथवा जिन्होंने म्युचुअल फंड में निवेश कर रखा है उनके रिटर्न में इस बीच बंपर इजाफा  हुआ  ।

NPS वर्सेस OPS- 

एनपीएस यानी कि नेशनल पेंशन स्कीम इस स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को अपनी आय का निश्चित हिस्सा एनपीएस में निवेश करना होता है या सरकार उनके अमाउंट को खुद ही एनपीएस में निवेश कर देती है इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले सभी कर्मचारी एनपीएस में निवेश करने के लिए अधिकृत हैं ताकि उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिल सके पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने एनपीएस को लागू किया था और उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम को समाप्त कर दिया था लेकिन वर्तमान समय में विपक्षी कांग्रेस पार्टी द्वारा इसे एक मुद्दे के रूप में लिया गया कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में उनकी जीत भी हुई उनके अनुसार इस मुद्दे के की वजह से ही उन्हें जीत मिली।और उन्होंने अपने शासन वाले राज्यों में इसे लागू कर दिया है या फिर लागू करने की योजनाएं बना रहे हैं  वर्तमान समय में केंद्र सरकार अथवा भारतीय जनता पार्टी एनपीएस की स्कीम के तहत ही भविष्य में सरकारी कर्मचारियों को पैसा देने देना चाहती है एनपीएस की स्कीम में एक फिक्स्ड पेंशन नहीं मिलती है परंतु या पेंशन सभी कर्मचारियों को उनके द्वारा इन्वेस्ट किए गए अमाउंट में मार्केट के रिटर्न के हिसाब से मिलेगी ।
ops अर्थात ओल्ड पेंशन योजना में सरकारी कर्मचारियों को लगभग उनकी लास्ट सैलरी का 50% हिस्सा लगभग पेंशन के रूप में मिलता है और सरकारी कर्मचारी भी यही चाहते हैं क्योंकि मार्केट के रिटर्न का क्या भरोसा ।
यदि तीन राज्यों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की विजई नहीं होती तो राजनीतिक तौर पर यह बहुत बड़ा मुद्दा बन गया होता और चुनाव में यह एक बहुत बड़ा मुद्दा भी बना जिसके कारण केंद्रीय मंत्री अमित शाह को यह कहना पड़ा कि वह इस मामले में एक कमेटी का गठन कर रहे हैं वैसे केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि ओल्ड पेंशन स्कीम योजना आने वाले समय के लिए या आने वाली पीढ़ी के लिए एक आत्मघाती कदम साबित होने वाली है इसलिए केंद्र सरकार इसे लागू करने के पक्ष में नहीं है ।
लेकिन अब ऐसा लगता है कि तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की कड़ी जीत के बाद या मुद्दा गायब हो गया है ।जिसके द्वारा इन्वेस्टमेंट एनपीएस में आने वाले इन्वेस्टमेंट में और बढ़ोतरी होगी ।प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी जो भी एनपीएस में निवेश करते हैं उनके लिए बहुत अच्छे रिटर्न आने की संभावना आने वाले समय में बढ़ जाएगी और सरकारों पर जब ops जैसी स्कीम से होने वाले खर्च का बोझ नहीं पड़ेगा तो उसे पैसे को वह ग्रंथ के कामों में लगाएगी 

freebies CULTURE पर धीमापन  –

दिल्ली में सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने जनता को कई तरह की मुफ्त की सुविधाएं जैसे बिजली और स्वास्थ्य और बसों में महिलाओं को टिकट फ्री की सुविधा दी हैं इस तरह के मुद्दों की वजह से ही वह भारतीय जनता पार्टी का चुनाव में मुकाबला कर पाई और चुनाव को जीत पाए ।इसी तरह पंजाब में भी उसकी सरकार बन गई आम आदमी पार्टी का यह मॉडल पॉपुलर होने लगा आम आदमी पार्टी के इस मॉडल की वजह से सबसे ज्यादा चोट कांग्रेस पार्टी को अपने वोट में नजर आई जिसकी वजह से झारखंड तमिलनाडु राजस्थान छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश कर्नाटक में freebies योजनाओं  को बढ़ावा मिला पार्टी के अनुसार इसी योजनाओं की वजह से ही वह हिमाचल कर्नाटक तथा तेलंगाना में अपनी सरकार बना पायी । मध्य प्रदेश में भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में इस तरह की कई योजनाओं को लागू किया है उनके अनुसार इसी वजह से वह पिछले कई वर्षों से अपने कार्यकाल को रिपीट करने में सफल हुए हैं परंतु केंद्र में भारतीय जनता पार्टी ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया उनका कहना है कि यदि इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी की जीत मिलती है अर्थात मध्य प्रदेश में लागू की गई लाडली बहन योजना से ही पार्टी को जीत मिलती तो पार्टी छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार गई होती पार्टी का साफ तौर पर मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया इसी वजह से उन्हें इन चुनाव में विजय मिली ।इस तरह की योजनाओं के आधार पर यदि विपक्ष की सरकार है इन राज्यों में बन जाती तो भारतीय जनता पार्टी की सरकारें भी मुफ्त की  योजनाओं के लिए मजबूर हो जाती ।ऐसा करने पर राज्य सरकारों के राजस्व पर बहुत भारी भोज पड़ता है और आर्थिक तरक्की की गति प्रभावित होती है ।इन चुनाव के परिणाम के बाद भारतीय जनता पार्टी की ऐसा करने की मजबूरी खत्म हो गई है इसलिए केंद्र में होने वाले बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां तक कह दिया था कि आने वाले बजट में किसी तरह की लोक लुभावने वाले वादों का उम्मीद नहीं रखनी चाहिए ।फ्री  की योजनाएं जितनी कम होगी उतना ही सरकार है growth के कामों में ,अथवा इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने के कामों में पैसे को खर्च कर पाएंगे इसलिए मार्केट इंडस्ट्रीज अथवा इन्वेस्टर्स के लिए यह स्थिति बहुत सूट करती है 
 
   

विकास योजनाओं का जारी रहना  –

राज्यों के चुनाव परिणामों ने इस तरह का इशारा किया है कि एक मजबूत  सरकार की वापसी की संभावना है इसलिए वर्तमान समय सरकार के द्वारा जो भी ग्रंथ के कार्य चलाए गए हैं अथवा जो भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं उन प्रोजेक्ट से जिन इंडस्ट्रीज को फायदा हो रहा है वह प्रोजेक्ट आगे भी जारी रहेंगे मार्केट इन संभावनाओं से काफी खुश होता है जिसका असर इन्वेस्टर के पोर्टफोलियो पर भी पड़ता है और वह मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए काफी कॉन्फिडेंट हो जाते हैं 

निष्कर्ष –

आर्टिकल के इस भाग को पढ़ने के बाद या नहीं लगना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी ही एक मजबूत सरकार दे सकती है या भारतीय जनता पार्टी का सत्ता में बनी रहना ही मार्केट के लिए बहुत लाभदायक है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में मार्केट में लगभग 370 परसेंट के आसपास के पॉजिटिव रिटर्न दिए ।वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार भी अपने 10 साल पूरे कर लेगी और लगभग अभी तक 172% के रिटर्न निफ्टी दे चुका है ।2004 से 2014 तक के कार्यकाल में पहले कार्यकाल में गठबंधन में कांग्रेस की 140 सीट थी जबकि जबकि दूसरे कार्यकाल में उसकी 206 सीट  थी ।और भारतीय जनता पार्टी इतनी मजबूत नहीं थी कि वह इस सरकारों को गिरा सके इसलिए यह सरकार लगभग स्थिर सरकार थी इसीलिए वह अपने 10 साल का कार्यकाल पूरा कर पाई और एक स्थिर सरकार दे पाई वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी एक मजबूत पार्टी है यदि चुनाव में भारतीय जनता पार्टी हार भी जाती है तो भी कांग्रेस पार्टी अपने बलबूते बहुमत में नहीं आ सकती है अथवा कांग्रेस पार्टी की इतनी सीट  भी नहीं आएंगे की डेढ़ सौ से 200 सीट तक जीत जाए ।इतनी सीटों के बिना वह एक मजबूत और स्थित सरकार नहीं दे सकती है और वह भी तब जब उनके विरोध में भारतीय जनता पार्टी जैसी एक मजबूत पार्टी हो ।इसलिए ऐसे लोग वर्तमान समय में जो की एक मजबूत सरकार चाहते हो उनका झुकाव भारतीय जनता पार्टी की तरफ ही रहेगा ।इसलिए मजबूत और प्रबल सरकार का दावा  भारतीय जनता पार्टी का ज्यादा मजबूत बनता है ।और वह ऐसे मुद्दों के दम पर बना रही है या बनेगी जो की मार्केट को काफी पसंद होगी अर्थात इन्वेस्टर के लिए स्थिति काफी लाभदायक होगी 

By admin

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