कंट्रा फंड एक ऐसा म्युचुअल फंड होता है जो की मार्केट में कांट्रेडियन स्ट्रेटजी का पालन करता है ।जैसा हम जानते हैं कि वारेन बुफेट भी कहते थे कि जब सारे लोग शेयर मार्केट से दूर भागने लगे तो आपको ऐसे समय में लालची हो जाना चाहिए तथा तब जाकर शेयर खरीदने चाहिए और यदि जब सारे लोग शेयर खरीदने लगे हैं तो आप आपको प्रॉफिट पर शेयर बेच देने चाहिए ।कंट्रा फंड भी इसी सिद्धांत का पालन करते हैं ।कंट्रा फंड ऐसे शेयर्स में निवेश करते हैं या ऐसी कंपनियों में इन्वेस्ट करते हैं जो कंपनियां फंडामेंटल रूप से बहुत मजबूत होती हैं लेकिन किसी कारण से उन कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट आ जाती है ।और वह कंपनियां सस्ते भाव पर उपलब्ध हो जाती हैं और इसी समय कंट्रा फंड इन स्टॉक में फंड का इन्वेस्टमेंट कर देते हैं ताकि आगे चलकर जब इन कंपनियों की स्थिति अच्छी होती है और यह कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर देती हैं तो इनके स्टॉक में भी या इनके शेयर्स के भाव भी बढ़ने लगते हैं जिसकी वजह से उसे समय कंट्रा फंड अच्छा प्रदर्शन करने लगता है
कॉण्ट्रा फण्ड एक तरह से इक्विटी म्युचुअल फंड ही होते हैं ।और समय-समय पर इनका पोर्टफोलियो बदलता रहता है
कंट्रा फंड में किन निवेशकों को निवेश करना चाहिए ?
कंट्रा फंड में निम्न प्रकार के निवेशकों को निवेश करना चाहिए ।
1-ऐसे निवेशक जो बहुत ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता रखते हो तथा बहुत उच्च रिटर्न प्राप्त करना चाहते हो ।
2-ऐसे निवेशक जो बहुत लंबे समय तक अर्थात कम से कम 5 साल से ऊपर तक इस फंड में इन्वेस्टेड रह सकते हैं ।
3-ऐसे निवेशक जो अपने पोर्टफोलियो में विविधीकरण चाहते हैं
कंट्रा फंड में निवेश करने के क्या जोखिम हो सकते हैं ?
कंट्रा फंड में निवेश करने के निम्नलिखित जोखिम हो सकते हैं ।
1-अस्थिरता का जोखिम -यदि मान लीजिए कि फंड मैनेजर ने फंड को किसी x,y,z शेयर में लगाया है इस समय यह स्टॉक किसी अस्थाई करण की वजह से सस्ते दामों पर उपलब्ध है और यदि इसके बाद पूरा मार्केट bearish पैटर्न में चला जाता है तब ऐसी स्थिति में इस फंड के नेगेटिव रिटर्न की संभावना बढ़ जाती है ।
2-फंड मैनेजर से संबंधित रिस्क -कंट्रा फंड फंड मैनेजर की काबिलियत पर परफॉर्मेंस करते हैं क्योंकि यह फंड मैनेजर पर निर्भर करता है कि वह किन स्टॉक्स में पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं यदि उन्होंने स्टॉक के फंडामेंटल को पढ़ने में या समझने में गलती कर दी है तो यह फंड नेगेटिव रिटर्न दे सकते हैं ।
३-अंडर परफॉर्मेंस रिस्क -आखिरकार कंट्रा फंड का टारगेट यह रहता है कि यह मार्केट के परफॉर्मेंस से भी बढ़िया रिटर्न दे परंतु यदि जिन शेयर्स में फंड मैनेजर ने पैसा इन्वेस्ट किया होता है वह उसकी अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं करते हैं तो यह फंड अंदर परफॉर्मेंस दिखा सकता है ।
(SBI Contra Fund review)
एसबीआई म्युचुअल फंड को लगभग 25 सालों का एक्सपीरियंस है इस फंड का। इस फण्ड का NFO 4 जुलाई 1999 में आया था। लगभग 19 हजार करोड़ इस फंड के फण्ड मैनेजर उन कंपनी के फण्ड मे निवेश करते हैं जिन सेक्टर की कंपनी अभी undervalued और उसके बाद उसे सेक्टर में उन कंपनी को आईडेंटिफाई करते हैं जो अभी कम वैल्युएशंस पर उपलब्ध है। जहां पहले कंपनी को देखा जाता है फिर इंडस्ट्री को और फिर इकोनॉमी को कॉन्ट्रा इन्वेस्टिंग में फंड मैनेजर्स पहले इंडस्ट्री को देख रहे हैं और उसके बाद उसे इंडस्ट्री की अंडरवैल्युएट कंपनी को देख रहे हैं ।यह फंड एक फ्लेक्सी कैप फंड है यानी किसी भी इंडस्ट्री की किसी भी मार्केट वैल्यू की कंपनी में फंड मैनेजर इन्वेस्ट कर सकते हैं। एसबीआई के फंड मैनेजर्स ने रिसर्च के बाद ही उन्होंने एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाया है इस फंड की टॉप सेक्टरल होल्डिंग्स मे फाइनेंशियल सर्विसेज मे, तेल और गैस इंडस्ट्री में हेल्थ केयर में आईटी आदि है ।और इस फंड ने 6% एलोकेशन दिया हुआ है कैश को। यानी कि फंड मैनेजर उसका मानना है कि स्टॉक मार्केट हो गया है एक्सपेंसिव और इस समय वह पैसा इन्वेस्ट नहीं करना चाहते और उन्हें वैल्यू दिख रही है कैश होल्ड करने ।एक और खासियत है 30 नवंबर 2023 को इस फंड के 8.6% असेट्स निफ़्टी इंडेक्स फ्यूचर्स में इन्वेस्टेड जा रहे हैं।
इस फण्ड की NAV, PAST PERFORMANCE, चेक करने के लिए यहाँ क्लिक करे
इस फण्ड में आप सभी को तभी निवेश करना चाहिए यदि आप लम्बे समय तक निवेशित रह सकते है ।