यदि आप चाहते हैं कि आपका पैसिव इनकम के तरीकों में वृद्धि हो और आप एक के बाद एक अपनी कमाई में पैसिव इनकम के सोर्स को बढ़ाना चाहते हैं तो आज का आर्टिकल आपके लिए महत्वपूर्ण होना हो जाएगा डिविडेंड के बारे में बहुत से लोगों ने सुन तो होगा खास तौर पर जो लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं उन लोगों ने डिविडेंड के बारे में अवश्य ही सुना होगा क्योंकि डिविडेंड रेगुलर कैश पेआउट का जरिया भी बन सकता है ।
इस आर्टिकल में हम निम्नलिखित टॉपिक को कवर करने जा रहे हैं ।
डिविडेंड क्या होते हैं?
डिविडेंड इन्वेस्टिंग के बेनिफिट क्या होते हैं?
डिविडेंड काम कैसे करता है?
डिविडेंड पोर्टफोलियो कैसे बनाया जा सकता है?
डिविडेंड इनकम को कैसे ज्यादा से ज्यादा करें ?
टैक्स संबंधी जानकारियां( डिविडेंड इनकम के लिए)
रिस्क तथा चुनौतियां
डिविडेंड क्या होते हैं?
सबसे पहले हम जानते हैं कि डिविडेंड क्या होता है ?डिविडेंड कंपनियों के द्वारा दिए जाने वाला एक इनकम है जो की कंपनियों के द्वारा अपने इन्वेस्टरों को समय-समय पर दिया जाता है ।जब कंपनियां प्रॉफिट में होती है तो अपनी प्रॉफिट का कुछ हिस्सा अपने निवेशकों को बांट देती है जिसे डिविडेंड कहा जाता है ।कंपनियों द्वारा यह डिविडेंड अपने निवेशकों को इनाम के रूप में बांटा जाता है और निवेशकों के लिए यह डिविडेंड एक कमाई का जरिया बन जाता है ।
डिविडेंड इन्वेस्टिंग के बेनिफिट क्या होते हैं?
यदि आप सही तरीके से डिविडेंड देने वाली कंपनियों में निवेश करें तो डिविडेंड नियमित इनकम का जरिया बन सकते हैं इसके लिए आपको अलग-अलग कंपनियों के हिसाब से कितना इन्वेस्ट करना है इसका रिसर्च करना होगा ।
रिटर्न देने के मामले में डिविडेंड देने वाली कंपनियां डिविडेंड नहीं देने वाली कंपनियों के मुकाबले ज्यादा आगे रहते हैं क्योंकि इनमें से ज्यादातर कंपनियां मजबूत फंडामेंटल वाली हैं तथा सरकारी सेक्टर की कंपनियां काफी ज्यादा है ।
डिविडेंड देने वाले स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव के दौरान हेज का काम करते हैं। मान लीजिए अपने किसी डिविडेंड पर स्टॉक को अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया है ।और मार्केट में गिरावट की वजह से इस शेर के प्राइस में भी गिरावट आ जाती है ।और काफी समय तक आप इस गिरावट में फंसे रहते हो तथा शेयर से एग्जिट नहीं करना चाहते हो ।तो कंपनी के द्वारा दिए जाने वाला डिविडेंड आपकी डाउन साइड रिस्क को कम कर देता है ।
डिविडेंड काम कैसे करता है?
डिविडेंड निम्नलिखित तरीकों से काम करते हैं
1-डिविडेंड पेआउट टाइमलाइन
कम्पनिया अपने क्वार्टरली रिजल्ट के साथ क्वार्टरली डिविडेंड देने की घोषणा करती हैं और यह प्रति शेयर पर एक फिक्स राशि का डिविडेंड दे देती है ।
इसके लिए एक रिकॉर्ड डेट फिक्स की जाती है उसे रिकॉर्ड डेट पर जिस किसी के भी डिमैट अकाउंट पर शेयर होते हैं उन्हें ही डिविडेंड मिल जाता है ।और इसके बाद 25 से 30 दिन के अंदर में या डिविडेंड शेयर होल्डर के बैंक अकाउंट में आ जाता है
2-डिविडेंड यील्ड
जो इन्वेस्टर डिविडेंड से कमाई करना चाहते हैं उन्हें डिविडेंड यील्ड के बारे में अवश्य पता होना चाहिए डिविडेंड यील्ड इस बात की तरफ इशारा करता है कि हमें हमारे इन्वेस्टमेंट पर कितना प्रतिशत डिविडेंड मिला ।यदि किसी शेयर की डिविडेंड यील्ड ऊंची है तो हमें उसे शेयर में इन्वेस्ट करने की प्राथमिकता मिलती है लेकिन यह कंपनी के फंडामेंटल और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी पर निर्भर करता है ।डिविडेंड यील्ड का कैलकुलेशन निम्न फार्मूले से किया जा सकता है ।
डिविडेंड यील्ड %=कंपनी के द्वारा साल भर में एक शेयर पर दिया गया डिविडेंड / कंपनी के शेयर का भाव
3-प्राप्त कर दिए गए डिविडेंड को पुनः इन्वेस्ट करना –
कंपनी के द्वारा जो भी डिविडेंड मिलता है यदि आपको उसे पैसे की जरूरत तुरंत नहीं है तो आप कंपनी के स्टॉक में उसे पैसे को पुनः निवेश कर सकते हैं ।
डिविडेंड पोर्टफोलियो कैसे बनाया जा सकता है?
डिविडेंड पोर्टफोलियो बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए ।
1-डिविडेंड पेइंग कंपनियों का सिलेक्शन करना –
डिविडेंड कंपनियों का सिलेक्शन करते समय यह देख लेना चाहिए कि यह कंपनियां रेगुलर डिविडेंड दे रही हैं या नहीं और इन कंपनियों की डिविडेंड यील्ड क्या है यानी कि उच्चतम डिविडेंड देने वाली कंपनियों का सिलेक्शन करना चाहिए ।इसके अलावा कंपनियों फंडामेंटल रूप से मजबूत होनी चाहिए ।अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों का चयन करना चाहिए जिससे हमारा इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफाइड हो जाए ।
2-डिविडेंड हिस्ट्री को चेक करना –
ऐसे स्टॉक में अपना पोर्टफोलियो बनाएं जिनका डिविडेंड रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है कम से कम 15 से 20 साल का डिविडेंड हिस्ट्री को चेक करना चाहिए ।मतलब आप यह समझ लीजिए कि आपको ऐसी कंपनियों का चयन करना है जो की एक तरह से डिविडेंड किंग है ।
3-डिविडेंड ETF तथा म्युचुअल फंड
-आमतौर पर निवेशकों को सिर्फ यही जानकारी होती है कि केवल स्टॉक में निवेश करने पर ही डिविडेंड मिलता है ।बहुत सारे म्युचुअल फंड तथा ETF भी डिविडेंड देते हैं ।जो कि खुद डिविडेंड पेइंग स्टॉक्स में निवेश करते हैं ।
4-डिविडेंड इनकम को मैक्सिमाइज करना
-डिविडेंड इनकम को हमें मैक्सिमाइज करने के लिए हमें डिविडेंड पेइंग स्टॉक्स में तभी निवेश करना चाहिए जब मार्केट में बहुत ज्यादा गिरावट हो चुका होता है ऐसा करने पर यह स्टॉक हम हमें डिविडेंड के साथ-साथ बढ़िया रिटर्न भी दे देंगे ।यदि हम ऐसे स्टॉक को बहुत बड़े रेट पर खरीदने हैं तो कई बार ऐसा होता है कि यह स्टॉक हमें जितना डिविडेंड देता है और हमारे पोर्टफोलियो उससे ज्यादा गिरावट दिखाई दी जाती है ।इसलिए डिविडेंड स्टॉक्स खरीदने के लिए इसकी टाइमिंग पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है
टैक्स संबंधी जानकारियां( डिविडेंड इनकम के लिए)
वर्तमान समय में डिविडेंड से होने वाली आय पर आपको आपकी टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा । यदि आप भारत के नागरिक है और आपने भारतीय कंपनी मैं निवेश किया है और कंपनी आपको 5000 रूपये से अधिक का डिविडेंड दे रही है तो वह आपको 10 % का डिविडेंड TDS काटकर आपको देती है । इसी लिए आपको कई बार आपको आपकी कैलकुलेशन से काम रूपये डिविडेंड के रूप मैं मिलते है । यदि आप डिविडेंड से बहुत अच्छी इनकम प्राप्त कर रहे हो तो आप टैक्स की जानकारी अच्छे टैक्स विशेषज्ञ से जानकारी ले ले ।
रिस्क तथा चुनौतियां
डिविडेंड इन्वेस्टिंग के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं ।
1-कई बार कंपनियां अपने फाइनेंशियल इन स्टेबिलिटी की वजह से या कंपनियों के खराब सेहत की वजह से डिविडेंड कम कर देती हैं अथवा इसे खत्म कर देती हैं ।
2-मार्केट में बहुत ज्यादा गिरावट की वजह से भी कंपनियों की डिविडेंड देने की क्षमता में असर पड़ता है ।
आर्थिक संकट किसी सेक्टर विशेष की परेशानियां आदि की वजह से भी कंपनियों में डिविडेंड देने की क्षमता पर असर पड़ता है ।
3-कई बार देखा गया है कि कंपनियां डिविडेंड देने के चक्कर में लोन ले लेती हैं और उसके बाद उसे कंपनी के फंडामेंटल कमजोर हो जाते हैं जिसका असर उसके शेयर पर साफ़ देखने लगता है ।ऐसे में हम उसे शेयर से जितना डिविडेंड पाते हैं उससे ज्यादा उसे शेयर पर नेगेटिव रिटर्न पा लेते हैं।
4-कई बार यह भी देखा गया है कि कंपनी जितना डिविडेंड देती हैं उतना ही अमाउंट का शेयर प्राइस कट कर देती है ।यानी कि डेविड मिलने वाले डिविडेंड का एडजस्टमेंट शेयर के प्राइस पर दिख जाता है ।
निष्कर्ष –
डिविडेंड इन्वेस्टिंग के लिए हमें मार्केट की कंडीशन मार्केट की वोलैटिलिटी और स्टॉक के फंडामेंटल का विश्लेषण आवश्यक करना चाहिए ।ऊपर दिए गए सभी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने की कोशिश करनी चाहिए तभी जाकर हमें डिविडेंड से एक बहुत अच्छी इनकम मिल सकती है ।