जैसा कि हम जानते हैं कि इन्वेस्टमेंट का केवल एक तरीका नहीं है अथवा हम किसी एक तरह के आसार क्लास में इन्वेस्ट नहीं करते अर्थात हमारे पास इन्वेस्टमेंट करने के लिए स्टॉक इन्वेस्टमेंट के अलावा और भी दूसरे कंपोनेंट मौजूद है यह हमारी चॉइस पर निर्भर करता है कि हम किस-किस कंपोनेंट पर इन्वेस्टिंग करते हैं परंतु हमारे चॉइस तभी सही होती है जब हम सभी प्रकार के तत्वों के बारे में जानकारी रखें और हमें यह पता हो की कौन सा इन्वेस्टमेंट हमारे लिए उपयोगी साबित होता है
देबेंचर्स
इस प्रकार के कंपोनेंट में इन्वेस्ट करने पर आपको कोई भी कंपनी एक निश्चित रेट का इंटरेस्ट प्रदान करती है आपको कंपनी द्वारा प्राप्त किए गए प्रॉफिट से कोई मिला देना नहीं होता है इसके अलावा कंपनी आपके मूलधन को वापस कर देती है
प्रॉपर्टी
प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए आपको बहुत सारे पैसे की जरूरत होती है प्रॉपर्टी के दामों का बढ़ना बहुत सारे कारकों पर निर्भर करता है उदाहरण के लिए आपने किस प्रकार की प्रॉपर्टी ली है यहां किस जगह पर स्थित है तथा आपकी प्रॉपर्टी के पास कौन-कौन से महत्वपूर्ण स्थान जैसे बाजार स्कूल रेलवे स्टेशन हवाई यातायात हॉस्पिटल आदि उपलब्ध है इसके अलावा प्रॉपर्टी के दाम बढ़ाने में एक लंबा समय लग जाता है और आपको बहुत सारा धैर्य की आवश्यकता भी होती है
गोल्ड
सबसे पहले हमें इन कॉम्पोनेंट के बारे में थोड़ा बहुत जानकारी होनी चाहिए
गोल्ड में निवेश करना कहीं निवेशकों की बहुत अच्छी पसंद होती है समझ के साथ-साथ गोल्ड की कीमत बढ़ती जा रही है लेकिन अल्पकाल की अवधि में देखें तो हम पाते हैं कि गोल्ड की कीमतें घटती बढ़ती रहती हैं और इन कीमतों के घटने बढ़ने का कोई उचित पैमाना है भी नहीं अर्थात यदि हम गोल्ड में करते हैं निवेश तो हमें इसके निवेश करने पर कितना फायदा होगा इसको जानने का कोई उचित पैमाना नहीं होता है और हमें अपने डिवाइस पर कितना रिटर्न मिलेगा यह कहना बहुत मुश्किल है
FD, RD, PPF
इन तीनों कंपोनेंट में निवेश करने पर हमें एक निश्चित ब्याज ही मिलता है
स्टॉक इन्वेस्टमेंट या इक्विटी इन्वेस्टमेंट कि दूसरे इन्वेस्टमेंट की तुलना
इक्विटी एंड स्टॉक मार्केट में निवेश करना हम जानते हैं कि यह एक रिस्की इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है इसमें निवेश करने पर हमें नेगेटिव रिटर्न भी मिल सकते हैं परंतु हम यदि बीते हुए वर्षों में देखें तो हमने देखा है कि इस इन्वेस्टमेंट ऑप्शन में लोगों की पहुंच लिक्विडिटी तथा ऐतिहासिक रूप से बहुत ज्यादा रिटर्न कमाए हैं
इक्विटी में निवेश करना दूसरे कंपोनेंट में निवेश करने से बहुत बेहतर होता है ऐसा करने पर आप कंपनी के कुछ अंश के मालिक बन जाते हो और आप कंपनी के लाभ और नुकसान के भागीदार बन जाते हो
आर्टिकल के आगे के भाग में हम अब बहुत सारे कारण गिनेंगे जिससे हमें यह पता लगेगा कि स्टॉक इन्वेस्टमेंट या इक्विटी इन्वेस्टमेंट दूसरे इन्वेस्टमेंट ऑप्शन से क्यों बेहतर है
नवंबर 2024 में मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई न्यूज़पेपर मैं आर्टिकल लिखे गए हैं जो यह बताते हैं की अगर हम बीते हुए 25 साल के रिटर्न की बात करें तो हमें पता चलता है कि इक्विटी ने बीते हुए 25 साल में 15% गोल्ड ने 11% एचडी ने 7% तथा रियल स्टेट ने भी 7% CAGR के हिसाब से रिटर्न दिए हैं
अर्थात हम यदि पिछले 25 सालों के हिसाब से आकलन करें तो हमें पता चलता है कि इक्विटी इन्वेस्टमेंट इन्वेस्टमेंट का सबसे बढ़िया कंपोनेंट रहा है
इक्विटी इन्वेस्टमेंट के दूसरे लाभ
यह तो आप सभी के समझ में अब आ गया होगा कि स्टॉक मार्केट का इन्वेस्टमेंट सारी इन्वेस्टमेंट की तुलना में काफी बढ़िया होता है यदि इस इन्वेस्टमेंट के रिटर्न के साथ हमें कोई कंपनी डिविडेंड दे देती है तो यह सोने पर सुहागा हो जाता है
इसके अलावा हम जानते हैं कि सोने की चोरी हो सकती है जमीन पर कब्जा हो सकता है लेकिन स्टॉक इन्वेस्टमेंट में इस तरह की कोई परेशानी नहीं होती है
इसके अलावा हम यह भी जानते हैं स्टॉक मार्केट में लिक्विडिटी काफी हाई होती है और उन्हें ट्रांजैक्शन करना काफी आसान होता है
स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट में हमें कंपाउंडिंग का भी लाभ मिलता है लेकिन सबसे पहले हमें जानना आवश्यक होता है कि कंपाउंडिंग क्या होता है कंपाउंडिंग के अर्थ को हम फिक्स डिपाजिट के इन्वेस्टमेंट से समझ लेते हैं मान लिया जाए हमने कुछ पैसा फिक्स डिपॉजिट में लगा रखा है ऐसी स्थिति में साल के अंत में हमें कुछ ब्याज अवश्य मिलेगा लेकिन यदि हम उसे ब्याज को भी दोबारा इन्वेस्ट कर देते हैं तो हमें उसे ब्याज के ऊपर भी ब्याज मिलेगा लेकिन पिछले कई वर्षों में हमें पता चला है कि स्टॉक इन्वेस्टमेंट में हमें रिटर्न इससे कहीं ज्यादा मिले हैं
अब हम टाटा ग्रुप की एक कंपनी टीसीएस (TCS) की केस स्टडी करते हैं इस कंपनी के स्टॉक का भाव सन 2004 में लगभग 328 था और आज इस कंपनी के स्टॉक का भाव ₹4000 के आसपास है यदि किसी व्यक्ति ने इस कंपनी में साल 2004 में ₹10000 का निवेश किया होता तो आज उसके निवेश की वैल्यू 1.26 लाख हो गई होती इस प्रकार इस स्टॉक ने अभी तक 1161 परसेंट का रिटर्न दिया है जो कि साल का 13 परसेंट का CAGR होता है
स्टॉक मार्केट की भाषा में इसे कंपाउंडिंग रिटर्न मल्टीबैगर रिटर्न या आउट परफॉर्मेंस भी कहते हैं
लेकिन इस तरह के रिटर्न पानी के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि सभी कंपनियों ने इस तरह के रिटर्न दिए हैं ऐसा संभव नहीं है कई कंपनियां नेगेटिव रिटर्न भी देती है और कई कंपनियां तो मार्केट डी लिस्ट हो जाती है इसलिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
1- हमें किसी अच्छे स्टॉक में ही निवेश करना चाहिए ऐसे कंपनी जिसका भविष्य बहुत अच्छा हो अर्थात हमें थोड़ा रिसर्च करने के बाद ही इन्वेस्ट करना चाहिए
2- लंबे समय तक इन्वेस्टेड रहना है यदि कंपनी के भाव में गिरावट आ जाए तो घबराना नहीं है और यदि कंपनी के शेयर में काफी ज्यादा उम्मीद से भी ज्यादा वृद्धि हो जाए तो उसे बेचकर नहीं निकलना है यदि कंपनी अच्छी है तो गिरावट की स्थिति में और अधिक शेयर हमें खरीद लेनी चाहिए इस स्टॉक मार्केट की भाषा में buy on dip कहा जाता है
3- कभी-कभी ऐसा होता है कि हो सकता है आपने बहुत अच्छी कंपनी का चयन कर लिया है लेकिन उसके स्टॉक का प्राइस काफी ज्यादा बढ़ गया हो अर्थात स्टॉक का प्राइस ओवर वैल्यूड हो गया हो तो ऐसी स्थिति में उसे स्टॉक को खरीदने में नुकसान हो सकता है या लंबे समय तक आपको उसके रिटर्न में वैसे अच्छे ना मिलते हो इसलिए स्टॉक को किस प्राइस पर खरीदा गया है यह अभी महत्वपूर्ण होता है यदि कोई कंपनी अपने ग्रोथ पेज पर हो और उसका प्राइस कम हो तो ऐसे स्टॉक को खरीदने से काफी फायदा होता है
स्टॉक मार्केट का इन्वेस्टमेंट हमारे लिए सबसे ज्यादा रिटर्न दे सके इसके लिए हमें स्टॉक इन्वेस्टमेंट के पीछे की साइकोलॉजी को भी समझना चाहिए चाहिए
सबसे पहले हमको यह जानना आवश्यक है कि अनुभवहीन इन्वेस्टर कौन-कौन सी गलती करते हैं
1- अनुभवहीन इन्वेस्टर स्टॉक मार्केट को पैसा बनाने के बजाय पैसा कमाने का जरिया समझने लगते हैं और वह इसे रोज-रोज पैसा कमाना चाहते हैं और इसी चक्कर में वह बहुत ज्यादा पैसा भी लॉस कर देते हैं
2- ऐसे लोगों की रिस्क लेने की क्षमता बहुत कम होती है और स्टॉक के सस्ते प्राइस के चक्कर में वे लोग बहुत कम प्राइस वाले स्टॉक को खरीद लेते हैं बिना यह जाने की वह कंपनी कैसी है और उसके फंडामेंटल कैसे हैं
3- यदि स्टॉक में थोड़ा बहुत नुकसान भी हो जाए तो वह लोग डर के मारे उसे एग्जिट कर देते हैं और अपना बहुत बड़ा प्रॉफिट करने की संभावना से बाहर हो जाते हैं
4- मार्केट के उतार-चराव से बहुत जल्दी हो लोग डर जाते हैं
अब हम आपको स्मार्ट इन्वेस्टर की गुना के बारे में बताते हैं
1- स्मार्ट इन्वेस्टर उन गलतियों को नहीं करते हैं जो अनुभवहीन इन्वेस्ट करते हैं
2- यदि वह गलतियां करते भी हैं तो वह उन गलतियों से कुछ ना कुछ आवश्यक सीखते हैं
3- यदि कोई दूसरा व्यक्ति गलती करता है तो उससे भी बहुत कुछ सीखते हैं
स्मार्ट इन्वेस्टर बनने में निम्नलिखित बातें सहायक हो सकती हैं
1- किसी इन्वेस्टर को किसी स्टॉक में निवेश करने से पहले उसे स्टॉक का फंडामेंटल एनालिसिस कर लेना चाहिए और फिर उसे शेयर का एंट्री प्राइस जान लेना चाहिए
2- किसी भी रिश्तेदार या साथियों के कहने पर कोई स्टॉक नहीं खरीदना चाहिए
3- जब हम किसी कंपनी के स्टॉक में निवेश करते हैं अर्थात उसे कंपनी के निवेशक बन जाते हैं तो हमें समय-समय पर उसे कंपनी के बारे में आने वाली समाचारों को भी पढ़ते रहना चाहिए
4- समाचार पत्रों अथवा न्यूज़ चैनलों या यूट्यूब या व्हाट्सएप द्वारा किसी भी सलाहकार की स्टॉक खरीदने की सलाह को नहीं मानना चाहिए
5- किसी स्टॉक में निवेश करने के बाद उसे स्टॉक से हमें कितना प्रॉफिट होगा या नुकसान होगा इसके लिए कोई फिक्स फार्मूला या सूत्र नहीं बना है अर्थात स्टॉक मार्केट का कैलकुलेशन करना बहुत संभव है
स्टॉक में इन्वेस्टमेंट करना एक कला है जो कि अपने अनुभव और लगातार सीखने की क्षमता से ही विकसित होती है