Mon. Dec 2nd, 2024

दोस्तों हम सभी जानते हैं कि स्टॉक मार्केट में स्टॉक का भाव ऊपर या नीचे होता रहता है और जोकि शेयर मार्केट के लिए बहुत ही आवश्यक है कभी किसी स्टॉक की वैल्यू ₹1 से बढ़कर कई गुना तक हो जाती है या दूसरे शब्दों में कहें तो स्टॉक के वैल्यू हजार रुपए से गिरकर ₹1 भी हो जाती है स्टॉक की कीमत ना तो हर दिन या हर मिनट बल्कि हर सेकंड कम या ज्यादा होते रहती है आज के इस आर्टिकल में हम इस बात का ही अध्ययन करेंगे कि आखिर स्टॉक मार्केट को प्रभावित करने वाले फैक्टर कौन-कौन से हैं

इकोनामिक या आर्थिक फैक्टर

उच्चतम आर्थिक ग्रोथ के कारण अर्थव्यवस्था में उपभोग को बढ़ाती है जिसके कारण लोग अधिक से अधिक खर्च करते हैं और मार्केट में पैसे का प्रभाव पड़ता है जिसके कारण अर्थव्यवस्था बढ़ती है और शेयर्स का भाव भी बढ़ जाता है क्योंकि निवेदक अधिक से अधिक पैसा उन स्टॉक में निवेश करने लग जाते हैं

इसके अलावा स्थिति इसके विपरीत होने पर स्टॉक के भाव में गिरावट आने लगती है

जियो पोलिटिकल फैक्टर

कभी-कभी वैश्विक स्तर पर स्थिति बहुत खराब हो जाती है उदाहरण के लिए आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ जाती है कई देशों के बीच आपस में युद्ध होने लगते हैं अथवा देश के बीच आपस में तनाव होने लगता है ऐसी स्थिति में निवेशक शेयर मार्केट से अपना पैसा निकलने लगते हैं जिसके कारण स्टॉक के भाव में गिरावट आ जाती है

विदेशी संस्थागत निवेशकों(FII) का प्रभाव

विदेशी संस्थागत निवेशकों(FII) का भरोसा हमेशा विश्व की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं पर रहा है जैसे भारत ब्राजील और चीन l यदि भारत के बाजारों में कभी खरीदारी और कभी सेलिंग करते हैं जिसके कारण भारत का शेयर मार्केट प्रभावित हो जाता है

अक्टूबर 2024 में या नवंबर 2024 के मध्य तक हम देख रहे हैं कि भारत के शेयर मार्केट में लगातार गिरावट का दौर जारी है इसका कारण यह है कि विदेशी निवेशक वर्तमान समय में भारत के बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं क्योंकि वह लोग या तो अमेरिका के शेयर मार्केट में अपना पैसा डालना चाहते हैं अथवा चीन के शेयर मार्केट में अपना पैसा डालना चाह रहे हैं वह लोग एक दिन में कई हजार करोड़ रुपए का माल तक सेल कर देते हैं

महंगाई

महंगाई अलग-अलग देशों के शेयर मार्केट को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है यदि हम अमेरिका के मार्केट को देखें तो साल 2023 मैं अमेरिका के मार्केट में गिरावट का दौर जारी रहा जो की 2024 के मध्य तक चला इसका कारण यह था कि अमेरिका में महंगाई की दर बढ़ रही थी जिसके कारण अमेरिका के रिजर्व बैंक ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए ब्याज रेट लगातार बढ़ता शुरू कर दिया था और अमेरिका के निवेशकों को वहां का बॉन्ड मार्केट ब्याज दरें बढ़ाने की वजह से आकर्षक लग रहा था जिसके कारण वहां के लोग स्टॉक मार्केट से अपना पैसा निकाल कर बॉन्ड मार्केट में डाल रहे थे

परंतु भारत के देश में महंगाई का 2% या 1% तक वृद्धि करना निवेशकों के व्यवहार को प्रभावित नहीं करता है परंतु ऐसा जरूर हो सकता है कि यदि प्रॉपर्टी के दाम बहुत बढ़ गए हो या दूसरे एसेट क्लास के दाम बहुत बढ़ गए हो और निवेशकों को लगता है कि आगे इनके दाम गिर जाएंगे और यहां पैसे का निवेश करना कोई अच्छी बात नहीं है तब ऐसा हो सकता है कि निवेशक स्टॉक मार्केट में अधिक से अधिक निवेश करना शुरू कर दें

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि महंगाई का बढ़ना या घटना निवेशकों के व्यवहार को प्रभावित करता है

डॉलर वर्सिज रूपीस

डॉलर के मुकाबले रुपए का घटना या बढ़ाना ऐसी कंपनियां को प्रभावित करता है जो कंपनियां इंपोर्ट या एक्सपोर्ट करती हैं उदाहरण के लिए इन्फो इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी अथवा फार्मा कंपनियां जिसके कारण इन कंपनियों का प्रॉफिट अथवा लॉस काम ज्यादा होते रहता है इसका प्रभाव इन कंपनियों के स्टॉक में भी पड़ता है

डिमांड तथा सप्लाई

यदि किसी कंपनी के प्रोडक्ट की डिमांड मार्केट में काफी बढ़ जाती है तो उसे कंपनी की तरक्की पर उसका असर होना लाजमी है जिसके कारण उसे कंपनी के स्टॉक के दाम में भी असर होता है अर्थात उसके स्टॉक का दाम बढ़ जाता है

इन्वेस्टर के सेंटीमेंट

स्टॉक का कीमत में वृद्धि इन्वेस्टर के सेंटीमेंट पर भी निर्भर करता है यदि इन्वेस्टर किसी स्टॉक में पैसा लगाकर रिस्क लेना चाहते हैं तो वह उसे स्टॉक में पैसा निवेश कर देते हैं

भारत में रिजर्व बैंक की पॉलिसी

यदि भारत का रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बढ़ाता है तो कंपनियों को उधार लेने के बाद अधिक ब्याज चुकाना होता है जिसके कारण उनकी उधार लेने की कास्ट बढ़ जाती है और उनका प्रॉफिट काम हो जाता है जिसके कारण स्टॉक का भाव गिरने लगता है और इसका उल्टा होने पर स्टॉक का भाव बढ़ने लगता है

परंतु यह सब असर अल्प अवधि के लिए ही होता है क्योंकि ब्याज दरों का घटना या बढ़ता लगा रहता है

ट्रेड बैलेंस

ट्रेड बैलेंस देश में इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के अंतर को दर्शाता है यदि कोई देश एक्सपोर्ट के मुकाबले इंपोर्ट अधिक करता है तो यह स्थिति देश को कर्ज में धकेलना वाली होती है जिसके कारण अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है और इसका प्रभाव स्टॉक मार्केट में भी दिखता है

तथा दूसरी तरफ की स्थिति इसके विपरीत होती है

हम उम्मीद करते हैं कि स्टॉक मार्केट को प्रभावित करने वाले सारे कारकों का हमने अध्ययन कर लिया है स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले निवेशक को आमतौर पर इन सारे कारकों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है इसके अलावा यदि आप डेली बिजनेस चैनल पर न्यूज़ सुनते हैं अथवा अपने यूट्यूब पर इस तरह के समाचारों की जानकारी लेते हैं तो आप हमेशा महसूस कर पाएंगे कि इस तरह के कारकों का शेयर मार्केट पर किस तरह प्रभाव पड़ता है

By admin

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