स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट की बेसिक जानकारी|
सबसे पहले हमें यह जानना आवश्यक है कि share क्या होता है?
किसी भी कंपनी को कार्य करने अपना विस्तार करने और अपनी ग्रोथ करने के लिए पूंजी या कैपिटल की आवश्यकता होती है
अपनी इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए कंपनी बैंक से लोन लेती है
इसके लिए कंपनी को एक फिक्स अमाउंट लोन के लिए ब्याज के रूप में चुकाना होता है यह अमाउंट उसे हर महीने देना होता है
पैसे की व्यवस्था करने यथवा फंड पैदा करने का दूसरा तरीका यह भी है कि कंपनी पब्लिक को शेयर इश्यू करती है जो की पब्लिक के द्वारा खरीदे जाते हैं|
कंपनी के कैपिटल को कई छोटे-छोटे यूनिट्स में बांटा जाता है जिन्हें शेयर कहा जाता है अर्थात share का मतलब यह है कि यह कंपनी के ओनरशिप का एक छोटा पार्ट है
जब कोई इन्वेस्टर कंपनी के share को खरीदना है तो वह कंपनी का पार्ट ओनर बन जाता है और इस प्रकार वह अपने इन्वेस्टमेंट के हिसाब से कंपनी के प्रॉफिट या लॉस का भागीदार होता है और वह स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से कंपनी के शेयर्स को खरीद सकता है अथवा बेच सकता है जब कभी भी चाहे वह ऐसा कर सकता है
अब लिए हम एक उदाहरण से समझ लेते हैं सन 1981 में इंफोसिस नाम की कंपनी बनी यह कंपनी लगातार तब से बहुत अच्छा कार्य कर रही थी इसके बावजूद यह बहुत बड़ा धन नहीं क्रिएट कर पा रही थी परंतु सन 1993 में इस कंपनी ने पब्लिक में आने का प्रयास फैसला किया और अपने शहरों को पब्लिक में रिलीज किया यदि किसी व्यक्ति ने तब इस कंपनी में 10000 का निवेश भी किया तो आज वह व्यक्ति मिलेनियम बन चुका है इस प्रकार कंपनी भी पब्लिक से बहुत ज्यादा धन लेने में कामयाब रही
शेयर मार्केट के दो महत्वपूर्ण तत्व
शेयर मार्केट के दो महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में जानना आवश्यक है क्योंकि बहुत सारे लोग कहते हैं कि शेयर मार्केट एक जुआ है इस प्रकार शेयर मार्केट में निवेश करने वाले लोग दो तरह के होते हैं पहले इन्वेस्टर और दूसरा सट्टेबाज
इन्वेस्टर वह व्यक्ति होता है जो शेयर मार्केट में कम रिस्क लेता है और निवेश करने से पहले कंपनी के बारे में अच्छी तरह से जांच पड़ताल करता है और कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करता है
दूसरी तरफ सैट बाद वह आदमी होता है जो शेयर मार्केट में बहुत ज्यादा रिस्क लेता है और प्राइस मूवमेंट के हिसाब से कंपनी में पैसा लगता है और कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस नहीं करता है ऐसे व्यक्ति को सट्टेबाज कहां जाता है दूसरे शब्दों में इसे स्पैकुलेटर भी कहते हैं
स्पैकुलेटर और इन्वेस्टर में और क्या-क्या अंतर होता है इसे अच्छी तरह से समझते हैं
1- इन्वेस्टर कंपनी की वैल्यू और कंपनी के फंडामेंटल पर निवेश करता है जबकि इस स्पैकुलेटर अच्छे प्रॉफिट के लिए बीट लगता है
2- इन्वेस्टर का पैसा लगाने का बेसिक सिद्धांत कंपनी की फंडामेंटल एनालिसिस होती है जबकि स्पैकुलेटर स्टॉक के बदलते हुए प्राइस और मार्केट में चलते हुए अफवाहों पर ज्यादा ध्यान रखना है
3- इन्वेस्टर स्टॉक में लंबे समय तक के लिए इन्वेस्टेड रहता है जबकि स्पेक्ट्रिकुलर अल्पकाल मैं ही शेयर बेचकर कर बाहर निकल जाता है
4- इन्वेस्टर निवेश करने के लिए मध्य या उससे नीचे का रिस्क लेता है जबकि जबकि इन स्पेक्टाकुलर बहुत हाई रिस्क के लिए काम करता है
5- इन्वेस्टर को प्रॉफिट तब होता है जबकि कंपनी के बिजनेस की वैल्यू पड़ जाती है जबकि इस्पेक्ट क्वालिटी में प्रॉफिट तब होता है जब प्राइस बढ़ जाता है
6- इन्वेस्टर के पैसे गवाने की संभावना बहुत कम होती है जबकि इस पार्टिकुलर जबकि इस स्पैकुलेटर की पैसे कमाने की संभावना 50% तक होती है की पैसे कमाने की संभावना 50% तक होती
इन सारे विभिन्नताओं के बावजूद स्पैकुलेटर का मार्केट में रोल बहुत अहम होता है
स्टॉक के भाव में उतार-चढ़ाव उन्हीं की वजह से आता है जो कि स्टॉक मार्केट के लिए बहुत ही आवश्यक है वह लोग स्टॉक को बहुत जल्दी बाय अथवा सेल करते हैं जिसके कारण मार्केट में बहुत सारे शेयर खरीदने अथवा बचने के लिए उपलब्ध हो जाते हैं
स्टॉक मार्केट का महत्वपूर्ण रोल
1- स्टॉक मार्केट स्टॉक के प्राइस को प्रोवाइड करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है यहां पर share का भाव डिमांड और सप्लाई के हिसाब से होता है यदि कंपनी बहुत अच्छा कार्य कर रही है तो उसके share का भाव बढ़ जाता है
2-स्टॉक मार्केट हमें shares को खरीदने या बेचने की अपॉर्चुनिटी देता है इस प्रकार shares के भाव में लिक्विडिटी बनी रहती है
3– आप अपने बजट के हिसाब से बहुत कम मात्रा में shares को खरीद सकते हैं इस प्रकार आपकी बचत की आदत पर बनी रहती है
4- क्योंकि स्टॉक मार्केट के माध्यम से कंपनी शेयर रिलीज करके पैसा एकत्र कर सकती हैं इस प्रकार यह कंपनियों के बिजनेस को फैलाने का एक साधन बन जाता है इस प्रकार यह देश की सेहत के लिए भी बहुत अच्छा है और ऐसी स्थिति में इसे जुआ समझना बेमानी होगी
आप शेयर होल्डर के रूप में कैसे पैसे कमा सकते हैं?
आप शेयर होल्डर के रूप में दो तरीके से पैसा कमा सकते हैं
पहले है डिविडेंड इनकम- यदि कंपनी अपने बिजनेस में प्रॉफिट में रहती है तो वह इस प्रॉफिट के अमाउंट को या तो अपने बिजनेस को बढ़ाने में लगती है अथवा यह पैसा अपने शेरहोल्डर्स में बांट देती है इस प्रकार शेयर होल्डर्स को डिविडेंड इनकम मिल जाती है
कमाई के दूसरे साधन की चर्चा तो हम बार-बार कर रहे हैं अर्थात जब कंपनी मैं आपके इन्वेस्टमेंट की वैल्यू बढ़ जाती है तब आपको प्रॉफिट हो जाता है
अब आप स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट की बेसिक को समझ चुके होंगे बाकी स्टॉक मार्केट में नियमित रूप से अपडेट रहने के लिए आपको बिजनेस न्यूज चैनल को देखना चाहिए और बिजनेस न्यूज पेपर से को पढ़ना चाहिए