Fri. Mar 14th, 2025

स्टॉक मार्केट में निवेश करने के कई रूल्स तथा कहीं नियम हैं स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए बिना सोचे और कहीं भी पैसा लगा देना बहुत बड़ी बेवकूफी होती है लोगों लगता है कि कई बार हम यदि स्टॉक मार्केट के स्टॉक में लंबे समय तक इन्वेस्टेड रहेंगे तो अपने आप पैसा बनता रहेगा लेकिन ऐसा नहीं होता है इसके कई फैक्टर होते हैं लंबे समय तक कंपनियों की अपनी चुनौतियां होती हैं उनका भी विश्लेषण करना जरूरी होता है उसे कंपनी के सेक्टर की अपनी चुनौती होती है जिसकी जानकारी रखना भी आवश्यक होता है कंपनी का बिजनेस मॉडल कैसा है आने वाले समय पर जी सेक्टर में कंपनी कम कर रही है उसे सेक्टर का भविष्य कैसा होगा कंपनी का मैनेजमेंट कैसा है आदि कई ऐसे फैक्टर होते हैं जो लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग को प्रभावित करते है

इस बात को एक उदाहरण से समझते हैं यदि कोई कंपनी किसी लैपटॉप अथवा मोबाइल को बना रही है तो उसके सामने दो तरह की चुनौतियां होती हैं पहले यह कि वह कंपनी अपने सेल्स पर अधिक से अधिक फोकस करें दूसरा कि उसका प्रोडक्ट की टेक्नोलॉजी उसके फीचर्स के रिसर्च ओं डेवलपमेंट पर उसे बहुत अधिक फोकस करना पड़ेगा ताकि उसका प्रोडक्ट मार्केट में सस्टेन कर सके

यदि कोई कंपनी खाने पीने का आइटम बना रही है तो उसे अपने इसी पुराने प्रोडक्ट प्रोडक्ट की मार्केटिंग लगातार करनी होगी ताकि उसके प्रोडक्ट का बिक्री दुनिया के हर कोने में होते रहे उसे अपने प्रोडक्ट के प्रोडक्शन के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट पर काम करना जरूरी नहीं है लेकिन हां उसका प्रोडक्ट बदलते हुए जमाने के साथ रेलीवेंट रहे या जरूरी है

ऊपर कहीं गई बात को कोका-कोला या एप्पल कंपनी के उदाहरण से भी समझ सकते हैं

एक अच्छा इन्वेस्टर बनने के लिए कौन से गुण का होना आवश्यक नहीं है

हाई आइक्यू लेवल

टेक्निकल मैथमेटिकल और अकाउंटिंग स्किल

ग्राफ या चार्ट देखना के लिए बहुत महंगा सॉफ्टवेयर

एक अच्छा इन्वेस्टर बनने के लिए आप में कौन से गुण होने चाहिए

धैर्य

यदि मार्केट आपके  विपरीत जा रहा है तो उसको देखने का साहस होना चाहिए

सीखने की योग्यता अपने इमोशंस को कंट्रोल करने की क्षमता

छोटे समय के में रिटर्न पाने की चिंता से दूर होना चाहिए और अपने लंबे समय के गोल पर टारगेट करना चाहिए

यदि हम शेयर मार्केट में एक सक्सेसफुल इन्वेस्टर बनना चाहते हैं तो हमें वैल्यू इन्वेस्टिंग के कांसेप्ट को समझना होगा

वैल्यू इन्वेस्टिंग

वैल्यू इन्वेस्टिंग का कॉन्सेप्ट सन 1934 में डेवलप किया गया था जिसे ग्राहम बेंजामिन तथा david Dodd ने डेवलप किया था

Grahim के अनुसार छोटी समय अवधि में स्टॉक मार्केट एक वोटिंग मशीन के समान है लेकिन लंबे रण में यह वेट करने वाली मशीन की तरह हो जाता है

वैल्यू इन्वेस्टिंग का एक उद्देश्य यह है कि स्टॉक को मार्केट की उतार-चढ़ाव के दौरान अंडर प्राइस की वैल्यू पर खरीदा जाता है

वैल्यू इन्वेस्टर का काम यह है कि वह लगातार ऐसे स्टॉक की खोज करें जो कि अपने फेयर वैल्यू से कम प्राइस पर मार्केट में मिल रहे हैं

इन्वेस्टिंग के दो दृष्टिकोण

दरअसल वैल्यू इन्वेस्टिंग एक आर्ट ज्यादा है और साइंस कम है इसका कोई नियम नहीं है इसका एक बेसिक फ्रेमवर्क है जिसको फॉलो करने की जरूरत है

हम जानते हैं कि स्टॉक मार्केट में 5000 से ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं ऐसे में हमारी परेशानी यह बढ़ जाती है कि हमें कौन सा स्टॉक चुनना चाहिए ऐसा चयन करने के लिए हमारे पास दो तरीके हैं

1-टॉप डाउन अप्रोच

2- बॉटम अप अप्रोच

टॉप डाउन अप्रोच

इस एप्रोच का उसे करने के लिए निम्नलिखित पैरामीटर का उपयोग किया जाता है

1- सबसे पहले हमें यह चयन करना चाहिए की कंपनी कौन से सेक्टर में काम करती है और पहले कभी इस सेक्टर में कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई है यदि कंपनी के सेक्टर की ग्रोथ अच्छी है तब यह कंपनी मैं इनवेस्ट करने का सोचा जा सकता है

2- कंपनी के जी सेक्टर में काम कर रही है उसे सेक्टर में भविष्य में ग्रोथ कैसे होने वाली है उदाहरण के लिए आने वाला सेक्टर ड्राइवरलेस गाड़ियों का हो सकता है या फिर सोलर एनर्जी वाली कंपनियों का भविष्य अच्छा है

3- सरकारी रेगुलेशंस में परिवर्तन ऐसी कंपनियों के फेवर में हो तो ऐसी कंपनियों में निवेश करने की सोच सकते हैं

4- यदि कंपनियां अपनी टेक्नोलॉजी में सुधार कर रही है उधर के लिए सोलर पावर कंपनियों ने सोलर पैनल के उपयोग को बढ़ा दिया है

बॉटम अप अप्रोच

इस एप्रोच का प्रयोग करने के लिए निम्नलिखित पैरामीटर का ध्यान रखना चाहिए

1- जानी पहचानी कंपनियों में इन्वेस्ट करना ऐसी कंपनियां जिनके प्रोडक्ट के बारे में आप अच्छी तरह जानते हो कि यह प्रोडक्ट की बिक्री भविष्य में अच्छी होने वाली है उदाहरण के लिए कोलगेट , जूता बनाने वाली कोई कंपनी या फिर टायर बनाने वाली कंपनी

2- आप जिस सेक्टर में काम कर रहे हो उसे सेक्टर की कंपनियों के बारे में आपको बहुत अच्छी तरह पता होता है यदि आप एक आई टी  इंजीनियर हो तो आपको इस सेक्टर की ग्रोथ करने वाली कंपनियों के बारे में अच्छी तरह पता होगा

आप दोनों में से कोई भी एप्रोच का इस्तेमाल कर सकते हैं या दोनों एप्रोच का इस्तेमाल कर सकते हैं कंपनी के पैरामीटर को एनालाइज करने का तरीका महत्वपूर्ण है यह दोनों एप्रोच आपको स्टॉक का चयन करने में अवश्य मदद करेंगे

3- आपको प्रतिदिन कंपनियों के बारे में समाचार सुनते रहना चाहिए जिसकी वजह से आपके नोटिस में कोई अच्छी कंपनी आ जाएगी उदाहरण के लिए कोई कंपनी मोबाइल बना रही है और उसका कोई मॉडल अचानक से बहुत ज्यादा बिकने लगा है तो इसकी वजह से भी आपको इन्वेस्ट करने का एक आईडिया तो मिल ही जाता है

कौन सी अप्रोच ज्यादा बढ़िया है

आप अपनी प्रेफरेंस के हिसाब से कोई भी अप्रोच को अपना सकते हैं अथवा दोनों तरह के अप्रोच को अपना सकते हैं इसमें या नहीं कहा जा सकता है कि कौन सी अप्रोच बहुत बढ़िया या बहुत खराब है दोनों अप्रोच आपको स्टॉक के सिलेक्शन में मदद करती है

बढ़िया स्टॉक चुनने के लिए आपको स्टॉक का एनालिसिस कैसे करना है?

आमतौर पर किसी भी स्टॉक का चयन करने के लिए उसे स्टॉक में निम्न प्रकार के एनालिसिस किए जाते हैं

1- इंडस्ट्री एनालिसिस

2-बिजनेस एनालिसिस

3-मैनेजमेंट एनालिसिस

4-बिहेवियरल एनालिसिस

5-वैल्यूएशन एनालिसिस

इंडस्ट्री एनालिसिस

इंडस्ट्री का एनालिसिस करना किसी भी स्टॉक के चयन में एक महत्वपूर्ण स्टेप है किसी भी कंपनी के बिजनेस की सफलता निम्नलिखित फैक्टरों पर निर्भर करती है

1- कंपनी के बिजनेस में प्रवेश करने की कौन-कौन सी रुकावटें आ रही है

क्या कंपनी के पास नए बिजनेस में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त पूंजी है अथवा नहीं है

कंपनी के बिजनेस की शुरुआत करना सरकारी नियम या रेगुलेशन पर भी निर्भर करता है

मार्केट में किस तरह के ब्रांड उपलब्ध हैं और उसे कैटेगरी के प्रोडक्ट कितनी कंपनियां बना रही है

और कंपनी जी बिजनेस में जा रही है उसमें कितना नुकसान हो रहा है

2- सप्लायरों की बारगेनिंग करने की क्षमता पर भी कंपनी के बिजनेस पर असर पड़ता है यदि सप्लायरों में अच्छी बारगेनिंग पावर है तो वह अपने रिसोर्स को ऊंचे दामों पर बेचना शुरू कर कर देते हैं

3- ठीक इसी तरह खरीदारों की बारगेनिंग पावर क्या है इससे भी कंपनी के बिजनेस पर असर पड़ता है

4- कंपनी के बिजनेस की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि कि आपकी कंपनी जो प्रोडक्ट बना रही है उसे प्रोडक्ट के विकल्प के रूप में लोग दूसरा प्रोडक्ट तो नहीं खरीद रहे हैं उदाहरण के लिए मान लिया जाए यदि आपकी कंपनी कॉफी बना रही है तो काफी हद तक या संभव है कि लोग काफी के बजे चाय का सेवन कर रहे हो इसलिए इसका असर आपकी कंपनी के बिजनेस पर पड़ेगा

5- कंपनी के बिजनेस की सफलता इस बात पर भी निर्भर करता है कि कंपनी के मार्केट में कितने कंपीटीटर्स है यदि इनकी संख्या मार्केट में काम है तो यह कंपनी के लिए बहुत फायदे की बात होती है

बिजनेस एनालिसिस

कंपनी के बिजनेस का एनालिसिस हमें इस बात को आईडेंटिफाई करने में मदद करता है की कंपनी को अपने कंपीटीटर से कितना कॉम्पिटेटिव एडवांटेज मिल रहा है यह एडवांटेज उसे उसके ब्रांड से उसके लोकेशन से और उसके प्रोडक्ट की कास्ट से मिल सकता है फाइनेंस की भाषा में इसे (economic moat) कहा जाता है

कंपनियों में निम्न प्रकार के  MOAT जा सकते हैं अर्थात कंपनियां निम्न प्रकार से अपने कंपीटीटर्स पर भारी पड़ सकती है

1-Brands

यदि हमारी टैबलेट कभी खत्म हो जाए तो हम कहते हैं कि हमें क्रोसिन खरीदनी है हम यह नहीं कहते हैं कि हमें पेरासिटामोल टेबलेट चाहिए कई बार हम यह कहते हैं कि हमें कोलगेट खरीदना है हम यह नहीं कहते हैं कि हमें पेस्ट खरीदना है इसी प्रकार यदि हम स्टोर में जाते हैं हम यह नहीं करते हैं कि हमें नूडल खरीदना है हम यह कहते हैं कि हमें मैगी खरीदनी है इस प्रकार यहां पर हम देख रहे हैं कि प्रोडक्ट की ब्रांडिंग इतनी भारी पड़ रही है की  दूसरी कंपनियां जो यही प्रोडक्ट बना रहे हैं उनके प्रोडक्ट की सेल पर यह कंपनियां चाहे कोलगेट हो या क्रोसिन हो भारी पड़ रही है अर्थात इन कंपनियों का economic moat काफी स्ट्रॉन्ग है

2-Regulatory licences-

यदि रेगुलेटरी लाइसेंस एक तरह का बिजनेस करने वाली एक या दो कंपनियों को ही मिले तो उनके उसे बिजनेस में मोनोपोली हो जाती है

3-पेटेंट और कॉपीराइट

पेटेंट किसी कंपनी में प्रोडक्ट को बनाने और बेचने के लिए या उसकी सर्विस के लिए एक्सक्लूसिव अधिकार देता है

4- नेटवर्क का प्रभाव

कुछ कंपनियों का प्रदर्शन इसलिए अच्छा होता है क्योंकि उनके प्रोडक्ट यूजर को एक नेटवर्क प्रदान करते हैं उदाहरण के लिए फेसबुक तथा व्हाट्सएप

5- स्विचिंग कास्ट

यदि किसी प्रोडक्ट की कास्ट ज्यादा लग रही है तो हम उसे प्रोडक्ट या सर्विस को दूसरी कंपनी में स्विच कर सकते हैं उदाहरण के लिए यदि हमें एयरटेल के फोन नंबर का बिल ज्यादा लग रहा है और हम एयरटेल की सर्विस से नाखुश है तो उसे हम दूसरे सर्विस प्रोवाइडर जैसे बीएसएनल या जिओ में स्विच कर सकते हैं इसके अलावा यदि हमें किसी एक बैंक की सर्विस खराब लग रही है तो हम उसकी सर्विस को बंद करके दूसरे बैंक से वह सर्विस ले सकते हैं

6-Low cost

यदि किसी कंपनी के प्रोडक्ट की कास्ट बहुत कम है तो वह कंपनी दूसरी अपने कंपीटीटर्स पर भारी पड़ेगी

7- विशाल डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क

यदि किसी कंपनी का डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बहुत बड़ा है तो वह वास्तव में अपने कंपीटीटर्स पर भारी पड़ेगी

मैनेजमेंट एनालिसिस

स्टॉक का चयन करते समय हमें किसी कंपनी के मैनेजमेंट पर भी नजर रखनी चाहिए हम सभी लोग जानते हैं कि भारत में रतन टाटा आदित्य पुरी उदय कोटक अजीम प्रेमजी आदि गोदरेज ने अपनी अपनी कंपनियों को बहुत बड़े मुकाम तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इसलिए हमें किसी कंपनी के मैनेजमेंट की एक्टिविटी पर भी नजर रखनी चाहिए

उदाहरण के लिए

1-कंपनी की पॉलिसी क्या है

2-कंपनी का विजन तथा मिशन क्या है

3- क्या कंपनी अपनी कमाई को सही उपयोग कर रही है या नहीं

4- कंपनी के अंदर होने वाली खराब कंपनी यो खराब खबरों को कंपनी शेयर कर रही है या नहीं

5-कंपनी का आपने शेयर होल्डर के साथ क्लियर कम्युनिकेशन है या नहीं

6-क्या कंपनी के सीईओ मीडिया फ्रेंडली है या नहीं है

7-कंपनी का टॉप मैनेजमेंट कैसे हायर किया जाता है

कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट का अध्ययन

कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट साल भर की इसकी बिजनेस एक्टिविटीज का एक स्नैपशॉट होती है इसलिए कंपनी के वार्षिक रिपोर्ट का डिजाइन और उसमें कौन-कौन से पॉइंट हाइलाइटेड हैं और भविष्य में कंपनी ने कौन-कौन से योजनाओं पर काम करना है इन सभी बातों का अध्ययन हमें वार्षिक रिपोर्ट का अध्ययन करने पर पता चलेगा

EPS अर्थात अर्निंग पर शेर की जानकारी प्राप्त करना भी आवश्यक है

कंपनी में प्रमोटर्स के हिस्सेदारी कितनी है इस बात की जानकारी रखना भी अधिक आवश्यक है प्रमोटर लोग कंपनी के इनसाइडर होते हैं जिन्हें की कंपनी के बिजनेस ऑपरेशन की जानकारी होती है यदि कंपनी में प्रमोटर अपने हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं तो यह एक सकारात्मक संकेत होता है और इसका मतलब यह होता है कि वह कंपनी के फ्यूचर और स्किन ग्रंथ के बारे में पॉजिटिव हैं लेकिन फिर भी हमें इस बात की जानकारी रखनी चाहिए कि प्रमोटर अपने शेयर होल्डिंग कम या ज्यादा कंपनी में क्यों कर रहे हैं

फाइनेंशियल स्टेटमेंट का अध्ययन

इसमें हम निम्नलिखित कंपोनेंट का अध्ययन करते हैं

Balance sheet

कंपनी की बैलेंस शीट में निम्नलिखित फार्मूले का इस्तेमाल किया जाता है

कैपिटल =असेट्स -लायबिलिटीज

असेट्स का मतलब ऐसे रिसोर्सेस से है जो की कंपनी के पास होते हैं और कंपनी के कैश फ्लो को जनरेट करने में मदद करते हैं जैसे कंपनी का कैश, प्लांट, मशीनरी ,फर्नीचर तथा जमीन ,बिल्डिंग

      लायबिलिटी का मतलब यह है कि कंपनी पर कितनी देनदारी बाकी है उदाहरण के लिए कंपनी ने कितना लोन ले रखा है उसे पर कितना इंटरेस्ट कंपनी को देना है और कंपनी को अपने एसेट खरीदने में कितना खर्च करना है

Statement of profit/loss

इससे इस बात का पता लगता है कि

कंपनी ने साल भर में कितना रेवेन्यू जेनरेट किया

Capital employed=total asset -current Liablities

साल भर में कंपनी ने कितना खर्च किया

और साल भर में कंपनी को कितना प्रॉफिट हुआ

Cash flow statement

क्या फाइनेंशियल स्टेटमेंट का महत्वपूर्ण पार्ट होता है यह इस बात को दर्शाता है की कंपनी कितनी जल्दी अपनी एसेट को कैश में बदल सकती है इसे लिक्विडिटी कहा जाता है

Profitability Ratios

किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले हमें निम्न प्रकार केprofitability ratios का अध्ययन अवश्य करना चाहिए

1-Gross profit Margin किसी कंपनी का जितना अच्छा होगा उसे कंपनी को प्रॉफिट जनरेट करने की क्षमता उतनी ही ज्यादा होगी मान लीजिए किसी कंपनी ने साल 2024 में ₹100 की सेल की लेकिन उसकी मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट ₹80 है इस प्रकार कंपनी को gross प्रॉफिट ₹20 का हुआ

कंपनी का ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन निम्न प्रकार निकलेंगे

Gross profit margin=(20/80) ×100

Gross profit gross तथा gross profit margin अलग-अलग होते हैं

2-Operating profit margin

पहले कैलकुलेट करना है

Operating profit=gross profit-Operating expences

So Operating profit margin=(operating profit/net sale) ×100

3-Net profit margin

=(net profit/total revenue) ×100

4-ROE= इस रिटन ओं इक्विटी भी कहा जाता है किसी कंपनी का रिटर्न ओं इक्विटी जितना अच्छा होगा उनमें शेरहोल्डर के प्रॉफिट करने की क्षमता इतनी ज्यादा पड़ जाती है इसकी गणना इस प्रकार की जाती है

ROE=net income/share holders equity

5-ROCE= इस रिटन ओं कैपिटल एंप्लॉयड भी कहा जाता है कंपनी का रिटन ओं कैपिटल एंप्लॉयड इसके कैपिटल की कास्ट से हमेशा अधिक होना चाहिए इसकी गणना इस प्रकार की जाती है ROCE=EBIT/capital employed

EBIT=earning before interest and tax

6-P/E ratio=price/EPS

Price=current market price of share

EPS=earning per share(net profit/share quantity

आमतौर पर इन्वेस्टरों को सलाह दी जाती है कि उन्हें कम P/E ratio वाले स्टॉक को सेलेक्ट करना चाहिए

इसके अलावा कई तरह के और अनुपात भी हैं परंतु इस सब का ध्यान रखना किसी भी इन्वेस्टर के लिए बड़ा मुश्किल होता है और उसे अपनी रिसर्च करने में काफी वक्त लग सकता है ऊपर दिए गए सभी अनुपातों की गणना करना इन्वेस्टर के लिए इतना अनिवार्य भी नहीं है यदि हम किसी stock के बारे में जानते हैं जानना चाहते हैं तो हमें किसी फाइनेंशियल वेबसाइट उदाहरण के लिए मनी कंट्रोल इकोनॉमिक्स टाइम्स आदि पर उसे शेयर के बारे में जानकारी ले सकते हैं जिससे हमें कैलकुलेशन करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी हमें केवल इन अनुपातों का मतलब पता होना चाहिए

यदि आप लाभांश भुगतान वाले शेयरों में विश्लेषण कर रहे हैं। यह आपके लिए दोहरा फायदा होगा, एक तो आपको पैसिव इनकम के तौर पर अच्छा डिविडेंड मिल सकता है। दूसरा, जब स्टॉक की कीमत बढ़ेगी तो आपको अच्छा रिटर्न मिलेगा लाभांश के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए यहां क्लिक करें

व्यवहार का पूर्वाग्रह

आर्टिकल के इस भाग में हम ऐसे पूर्वाग्रह की चर्चा करेंगे जिनकी वजह से हमें स्टॉक में निवेश उठना पड़ता है भले ही हम किसी स्टॉक में निवेश करने से पहले कितना ही रिसर्च कर ले कितनी जानकारी प्राप्त करने लेकिन कुछ पूर्वाग्रह ऐसे होते हैं जिनकी वजह से हमें स्टॉक मार्केट में नुकसान उठाना पड़ता है इसका मतलब यह हुआ कि हम शेयर खरीदने में पक्षपात कर रहे हैं

1- कंपनी के नाम का पूर्वाग्रह-

इसका उदाहरण हम एफएमसीजी सेक्टर की कंपनियों से देना चाहेंगे हम रोजमर्रा की जिंदगी में ब्रिटानिया बिस्कुट के प्रति ज्यादा फैमिलियर हैं और हम कई बार इसका स्टॉक खरीदने के चक्कर में दूसरी कंपनियों के रिसर्च करने भूल जाते हैं उदाहरण के लिए हम आईटीसी का रिसर्च नहीं करें और बिना सोचे समझे ब्रिटानिया पर ही पैसा लगा दें तो इसका मतलब यह होगा कि हम पक्षपात कर रहे हैं जबकि 2020 से लेकर 2024 तक आईटीसी के स्टॉक ने भी बहुत बढ़िया परफॉर्मेंस किया है

2- कंपनी के इमेज का पूर्वाग्रह

कई बार हम यह देख लेते हैं कि कंपनी ने भूतकाल में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और हम यह मान लेते हैं कि यह कंपनी आगे भी बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी इसी आधार पर हम उसे कंपनी का स्टॉक खरीद लेते हैं

कई बार हम यह देख लेते हैं कि कंपनी अपने कंपीटीटर्स में सबसे बढ़िया प्रदर्शन कर लेती है इसके आधार पर हम यह मानते हैं कि कंपनी आगे भी बढ़िया प्रदर्शन करेगी और हम उसका स्टॉक खरीद लेते हैं जो कि अच्छे निवेशक के लिए सही नहीं है

3- एंकरिंग

एंकरिंग का मतलब यह है कि आपको किसी स्टॉक के बारे में जानकारी मिल रही है और यह जानकारी आपको किसी टेलीविजन एंकर के माध्यम से या सोशल मीडिया के द्वारा भी मिल सकती है कई बार कई इन्वेस्टर किसी टीवी एंकर की बातों पर इतना विश्वास कर लेते हैं कि वह उसके कहने पर शेयर खरीद लेते हैं और अपनी रिसर्च करना छोड़ देते हैं

कई बार ऐसा देखा गया है की सोशल मीडिया पर या व्हाट्सएप ग्रुप के द्वारा अथवा या टीवी पर आने वाले रिसर्चर ऐसे स्टॉक में निवेश करवाते हैं जिन पर की उन्होंने पहले से ही निवेश किया होता है और जब रिटेल इन्वेस्टर इन स्टॉक को खरीदने लगते हैं तो इन स्टॉक का भाव काफी बढ़ने लगता है और फिर यह एनालिस्ट रिसर्चर या एंकर उन स्टॉक को बेचकर अपना मुनाफा वसूल कर लेते हैं और फिर स्टॉक का भाव गिरने लगता है और बेचारे निवेदक उसमें फंस जाते हैं

4- ओवर कॉन्फिडेंस

कई बार हमें किसी स्टॉक पर इतना ज्यादा भरोसा होता है कि वह हमें 8 से 10% रिटर्न दे ही देगा लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है और कई बार हम यह सोचते हैं कि इस तरह का इन्वेस्टमेंट हमारे लिए फायदेमंद होगा इस तरह की सोच भी हमें रिसर्च से दूर करती है

5- बहुत ज्यादा ट्रेडिंग

कई बार हम सोचने लगते हैं कि यदि हम बहुत ज्यादा ट्रेडिंग करेंगे तो हमें बहुत ज्यादा फायदा होगा परंतु ऐसा नहीं होता है उल्टा ट्रेडिंग करने पर हमें बहुत ज्यादा ब्रोकरेज देनी पड़ती है और बहुत ज्यादा टैक्स भी देने पड़ते हैं और ऐसी स्थिति में हमारा बहुत ज्यादा पैसा टैक्स और ब्रोकरेज देने में ही चला जाता है

इस प्रकार हमारे पास कई अन्य तरह के पूर्वाग्रह से भी हम लोग ग्रसित होते हैं जिसकी वजह से हम स्टॉक का रिसर्च करना छोड़ देते हैं और दूसरी बातों की वजह से उसमें निवेश करते हैं

बेंजामिन ग्राहम के इन्वेस्टिंग के नियम

यह नियम तीन सिद्धांतों पर आधारित होता है

1-Margin of safety

इस नियम के अनुसार इन्वेस्टर ऐसे स्टॉक में बुद्धिमानी के साथ इनवेस्ट करता है जिनका वर्तमान लिस्टेड प्राइस इसकी इंट्रिसिक वैल्यू से कम है

इंट्रिसिक वैल्यू स्टॉक कि वह फेयर वैल्यू है जो कंपनी के फंडामेंटल वैल्यूएशन के आधार पर होती है और इसके मार्केट प्राइस से स्वतंत्रता होती है

2-Mr Market

इस नियम के अनुसार जब मार्केट बहुत ज्यादा दौड़ रहा होता है तो आपको इंजॉय करना चाहिए और अपने और अधिक मुनाफा कमा चुके स्टॉक को sell कर देना चाहिए लेकिन जब मार्केट डाउन हो रहा हो तो उसे समय आपको अच्छे स्टॉक खरीदने चाहिए

3-Cigar Butt Approach

इस नियम के अनुसार आपको ऐसे स्टॉक में निवेश करना चाहिए जो कि स्टॉक बहुत ज्यादा सस्ते हो चुके हैं और वर्तमान समय में नेगेटिव रिटर्न दे रहे हैं और लेकिन उनका भविष्य बहुत अच्छा है

स्टॉक मार्केट में मेरी भलाई चाहने वाले कौन से ग्रुप है

कई प्रकार के स्टॉक एडवाइजर और ब्रोकर है जो की इन्वेस्टमेंट करने में आपकी हेल्प करते हैं लेकिन आपको यह समझ लेना चाहिए कि वह आपकी हेल्प के बजाय पहले अपना प्रॉफिट देख रहे हैं वह आपके इन्वेस्टमेंट की परवाह नहीं करते हैं वह अपने कमिशन की पहली चिंता करते हैं

स्टॉक ब्रोकर

स्टॉक ब्रोकर आपको स्टॉक को खरीदने बेचने या हॉल रखने की सलाह देते हैं ताकि इसके द्वारा वह अपना कमीशन या ब्रोकरेज पा सकें हर एक ब्रोकरेज कंपनी का एक महीने का टारगेट होता है इसी आधार पर वह कस्टमर को टारगेट करके उसे शेयर को बाय करने या सेल करने की सलाह देते हैं उनका मकसद बिल्कुल नहीं रहता है कि आप फायदे में रहे

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी

आपको क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की सलाह को भी नहीं मानना चाहिए क्योंकि ट्रेडिंग रेटिंग एजेंसी कभी-कभी कंपनियों के कमीशन पर काम करती हैं और कंपनियों को फंड रेंज करने की जरूरत पड़ती है जिसके आधार पर यह एजेंसियां कंपनियों को अच्छी रेटिंग दे देते हैं यदि आप क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर भरोसा करेंगे तो आपको वह भ्रमित कर सकती हैं

एडवाइजर

एडवाइजर को चुनते समय हमें पिछले ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कई बार एडवाइजर की रेटिंग को बड़ा चढ़कर पेश किया जाता है इस बात पर हमें ध्यान देना चाहिए

म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर

म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर अपने स्वार्थ की वजह से म्युचुअल फंड को सजेस्ट करते हैं उदाहरण के लिए म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर हमेशा रेगुलर फंड में ही इन्वेस्ट करने को कहते हैं क्योंकि रेगुलर फंड में उनको अच्छा कमीशन मिलता है

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बैंकों के रिलेशनशिप एडवाइजर

बैंकों के रिलेशनशिप एडवाइजर का भी यही काम है ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसी अथवा ऐसे स्टॉक मार्केट फंड में इन्वेस्ट करने के लिए वह कहते हैं जिनमें उन्हें ज्यादा से ज्यादा कमीशन मिल सके और उनकी तरक्की हो सके

Fallacian Trap

फलासियन ट्रैप यह है कि आपको स्टॉक एडवाइजरी कंपनी किस तरह से फ्रॉड का शिकार बनती है

स्टॉक एडवाइजर कंपनी सबसे पहले हजार लोगों का चयन करती है इसमें से 500 लोगों को यह कह दिया जाता है कि स्टॉक एक्स को आप खरीद दीजिए और दूसरे 500 लोगों को यह कहा जाता है कि आप स्टॉक को बेच  दीजिए

अब मान लिया जाए कि उनके कहने पर स्टॉक का प्राइस ऊपर चला जाता है तो वे 500 लोग जिन्होंने स्टॉक को खरीदा है वह एडवाइजर कंपनी पर भरोसा करने लगेंगे और वह लोग स्टॉक एडवाइजर कंपनी को उनकी फीस देकर उनकी सर्विसेज ले लेंगे अब वह दोबारा से उन 500 लोगों को दो भागों में बांट देंगे ढाई सौ लोगों को स्टॉक Y खरीदने के लिए बोलेंगे और ढाई सौ लोगों को स्टॉक Y बचने के लिए बोलेंगे

यदि स्टॉक का प्राइस मान लिया जाए फिर ऊपर चला जाता है तो यह ढाई सौ लोग इस कंपनी पर भरोसा करने लगेंगे और यह ढाई सौ लोग उनकी सर्विसेज को अगले महीने भी जारी रखेंगे इस प्रकार यह चैन चलाते रहती है क्योंकि स्टॉक का प्राइस या तो ऊपर जाएगा या फिर नीचे जाएगा इस प्रकार यह लोग लास्ट तक लोगों को टारगेट करते रहते हैं और उसके बाद यह दोबारा से 1000 लोग खोजते हैं

स्टॉक इन्वेस्टमेंट की आवश्यक चेकशीट

कंपनी के बिजनेस की लाइन को समझना

इंडस्ट्री की इकोनॉमी को समझना

कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ को समझना

इस बात को समझना कि आप इस कंपनी में निवेश करने पर कितना रिस्क ले सकते हो

हमेशा स्वतंत्र एप्रोच रखने

हमेशा सीखने की इच्छा रखना वास्तविक तथा विनम्र बने

खुद ही एनालिसिस करने योग्य बने

अपने पैसे को एलोकेट करना सीखे

धैर्यवान बने उचित निर्णय लेना सीखें

खुद को बदलना सीखे

अपने इन्वेस्टमेंट पर फोकस करना सीखें

स्टॉक प्राइस को इवेलुएट करना सीखें

अपने इन्वेस्टमेंट में अपना एटीट्यूड चेक करें

डिस्क्लेमर

इस आर्टिकल में हमने इस बात की कोशिश की है कि हम ज्यादा से ज्यादा सलाह अपने पाठकों को दे सकें स्टॉक मार्केट को अपने लाइफ पार्टनर की तरह ले सकते हैं या तो आप इस नफरत कर सकते हैं अथवा इससे प्यार भी कर सकते हैं लेकिन आपको इसकी आवश्यकता हर समय रहती है यह आर्टिकल ट्रेडिंग करने वाले लोगों के लिए नहीं है बल्कि लंबे समय तक इन्वेस्ट करने वाले लोगों के लिए है

आप सभी लोगों को एक अच्छा इन्वेस्टर बनने के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं

By admin

5 thoughts on “स्टॉक मार्केट में निवेश करने की रणनीति को समझना”
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