हम ऐसे कई लोग शेयर मार्केट में ट्रेडिंग या इन्वेस्ट करने के दौरान बिजनेस न्यूज वेबसाइट या बिजनेस चैनलों से डेली अपडेट रहते हैं ।इसके लिए हमें कई बार FED की पॉलिसी का भी इंतजार रहता है ।कई बार हम देखते हैं की मार्केट में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण FED की पॉलिसी हो जाती है ।सुबह उठते ही हम जब देखते हैं कि अमेरिका के मार्केट मैं उतार-चढ़ाव का कारण अमेरिका के मार्केट घट या बढ़ गए हैं।और इन अमेरिकी बाजारों का संकेत लेकर हमारे मार्केट भी अपने प्रतिक्रिया दिखाने लगते हैं । कोरोना के बाद से ही FED की पॉलिसी जिसमें उसने ब्याज दरे लगातार कम कर रखी थी वह भी हमारे मार्केट से या अमेरिका के मार्केट बढ़ाने का एक बहुत बड़ा कारण रहा है ।इसलिए आपको यह जानना जरूरी हो जाता है कि अमेरिका FED की पॉलिसी का आपके इन्वेस्टमेंट पर क्या असर पड़ता है। क्योंकि जब तक आप शेयर मार्केट में इंटरेस्टेड रहेंगे आपको किसी न किसी रूप में महीने में एक बार दो बार यह न्यूज़ जरूर सुनने को मिलेगी की FED अपनी पॉलिसी में क्या कर रहा है
सबसे पहले हमें FED के बारे में पता होना चाहिए ।FED का मतलब है “Federal Reserve System” जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका का सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम है। इसका उद्देश्य मॉनेटरी नीति को लागू करना, वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करना और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना होता है।फेडरल रिजर्व सिस्टम (FED) अमेरिका का सेंट्रल बैंक है, जिस तरह से हमारी वहां रिजर्व बैंक आफ इंडिया(RBI) काम करता है
करीब 20 लाख करोड डॉलर सालाना उत्पादन वाला अमेरिका सबसे बड़ी इकोनॉमी है चीन जापान फ्रांस से कहीं आगे हमसे तो 6 गुना बड़ी दुनिया का 85 % व्यापार अमेरिकी डॉलर में होता हैऔर हमारे रिजर्व बैंक यानी आरबीआई जैसे दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के गुल्लक विदेशी मुद्रा भंडार में ज्यादा डॉलर ही होता है डॉलर का प्रयोग अमेरिका से बाहर ज्यादा होता है
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FED की पॉलिसी अमेरिकी रिजर्व बैंक द्वारा तय की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना होता है। फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा निम्नलिखित तीन प्रकार की पॉलिसियां बनाई जाती हैं:
मॉनेटरी पॉलिसी:
इस पॉलिसी के तहत, फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों, नकद आर्थिक नीति और अन्य आर्थिक उपकरणों का उपयोग करके देश की मॉनेटरी पॉलिसी का प्रबंधन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना होता है।
नियोजन पॉलिसी:
इस पॉलिसी के तहत, फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को नियोजित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बैंकों को स्थिरता और सुरक्षा देना होता है।
वित्तीय स्थिरता पॉलिसी:
इस पॉलिसी के तहत, फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों की स्थिरता और वित्तीय स्थिरता का प्रबंधन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बैंकों की स्थिरता और सुरक्षा देना होता है।
इन सभी पॉलिसियों का मुख्य उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना होता है।
आज के आर्टिकल में हम मॉनिटरी पॉलिसी के बारे में चर्चा करेंगे क्योंकि फेड की मॉनेटरी पॉलिसी दुनिया भर के शेयर मार्केट को प्रभावित करती है जिसका असर आपके इन्वेस्टमेंट पर भी पड़ता है
अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में FED या तो ब्याज दरों को स्थिर रखेगा या बढ़ाएगा अथवा ब्याज दरों को कम करेगा जिसका असर दुनिया भर के शेयर बाजारों में पड़ता है
फेड द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने का क्या प्रभाव होता है?
FED द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से अमेरिका में फिक्स्ड इनकम देने वाले डिपॉजिट तथा बॉन्ड यील्ड में पैसा लगाने वालों को ज्यादा रिटर्न मिलने लगता है ।लोग ज्यादा निवेश करते हैं ।डॉलर की डिमांड बढ़ती है तो वह दूसरी करेंसी के मुकाबले महंगा होने लगता है
डॉलर महंगा होगा तो इधर जो विदेशी निवेशक देश में पैसा लगाए बैठे हैं उन्हें दो फायदे होते हैं उनकी कमाई एक्सचेंज में ही बढ़ जाएगी और दूसरा यह की इस पैसे को ज्यादा रिटर्न दे रहे डॉलर वाले फिक्स्ड इनकम जरिए में वह इन्वेस्ट कर सकेंगे यानी पैसा वहां लगाना चाहते हैं जो रिटर्न डॉलर में मिले ।नतीजे शेरों की बिकवाली शुरू करते हैं और स्टॉक मार्केट में गिरावट आने लगती है ।भारतीय शेयर बाजार में भी इन विदेशी संस्थागत निवेशकों का ज्यादा पैसा लगा होता है
अमेरिका में ब्याज बढ़ाने और डॉलर महंगा होने से विदेशी फंड या निवेदक केवल शेयर मार्केट से ही पैसा नहीं निकलते हुए यहां के बंद और दूसरी सिक्योरिटीज में भी बिकवाली करते हैं विदेश से आने वाले पैसे की लागत बढ़ जाती है यानी देश में निवेश काम होने लगता है। ऐसे में हमारा आरबीआई भी कमर कसने लगता है और यहां भी ब्याज दरें बढ़ने लगती है। आरबीआई के पॉलिसी रेट बढ़ते ही बैंक में रखे आपके पैसे यानी फिक्स्ड डिपॉजिट या सेविंग अकाउंट पर ज्यादा ब्याज मिलने लगता है
FOMC Meeting Date | Rate Change (bps) | Federal Funds Rate |
---|---|---|
July 26, 2023 | 25 | 5.25% to 5.50% |
May 3, 2023 | 25 | 5.00% to 5.25% |
March 22, 2023 | 25 | 4.75% to 5.00% |
Feb 1, 2023 | 25 | 4.50% to 4.75% |
Dec 14, 2022 | 50 | 4.25% to 4.50% |
Nov 2, 2022 | 75 | 3.75% to 4.00% |
Sept 21, 2022 | 75 | 3.00% to 3.25% |
July 27, 2022 | 75 | 2.25% to 2.50% |
June 16, 2022 | 75 | 1.50% to 1.75% |
May 5, 2022 | 50 | 0.75% to 1.00% |
March 17, 2022 | 25 | 0.25% to 0.50% |
इस प्रकार हमने यह समझ लिया है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से किस तरह से फिक्स्ड इनकम वाले प्रोडक्ट या बांड में ज्यादा ब्याज मिलता है और किस तरह से हमारे वहां भी फिक्स्ड इनकम वाले प्रोडक्ट जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट में ज्यादा इंटरेस्ट मिलने लगता है जिसके कारण लोग शेयर मार्केट से पैसा निकालकर इन प्रोडक्ट में पैसा लगाने लगते हैं और शेयर मार्केट गिरने लगते हैं ।अर्थात अमेरिका में ब्याज दर रहे हैं बढ़ने से शेयर मार्केट और हमारे इन्वेस्टमेंट में नकारात्मक असर पड़ता है
ब्याज दर कम होने पर शेयर मार्केट में किस तरह का असर होता है ?
ऊपर के शब्दों में हम यह बात समझ चुके हैं कि ब्याज दरें अगर बढ़ती हैं तो शेयर मार्केट में किस तरह का असर होता है इसी तरह की प्रक्रिया के विपरीत अगर ब्याज दर कम होती हैं तो इसे शेयर मार्केट के रिटर्न में बढ़ने लगते हैं हम और आप सभी ने देखा है कि COVID के तुरंत बाद शेयर दुनिया भर के शेयर मार्केट किस तरह से बहुत तेजी के साथ पढ़ रहे थे इसका कारण अमेरिका में घटती हुई ब्याज दरें ही थी
COVID के बाद ब्याज दरों में बदलाव
FOMC Meeting Date | Rate Change (bps) | Federal Funds Rate |
---|---|---|
March 16, 2020 | -100 | 0% to 0.25% |
March 3, 2020 | -50 | 1.0% to 1.25% |
COVID के बाद ब्याज दरें गिरने से शेयर मार्केट का प्रदर्शन

भारत में विदेशी पूंजी निवेशकों यानी कि FIIका पैसा बहुत अधिक मात्रा में लगा होता है भारतीय शेयर मार्केट के घटना या बढ़ाने का या अमेरिकी मार्केट के घटना या बढ़ाने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें FED की पॉलिसी का भी एक असर होता है इस प्रकार यह पॉलिसी आपके स्टॉक मार्केट के रिटर्न को ही प्रभावित नहीं करती है बल्कि आपका म्युचुअल फंड अथवा दूसरी मार्केट लिंक योजनाओं में जो पैसा लगा होता है उनके रिटर्न को भी प्रभावित करती है
इसलिए यदि आप शेयर मार्केट के निवेशक हैं तो आपको FED की पॉलिसी जब भी आती है उसे पर नजर जरूर रखनी चाहिए ।वैसे आप बिजनेस चैनल जैसे जी बिजनेस या सीएनबीसी आवाज तो देखते ही होंगे जिसके द्वारा आपको इस पॉलिसी का पता चल ही जाता है